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hindi kahani for kids

नक़ल उतारने वाला नाई : पंचतंत्र की कहानी

वर्तमान सामाजिक एवं शासन व्यवस्था में व्यक्ति- जीवन के संकट को बड़े मार्मिक ढंग

बिष्णु प्रभाकर एक सुधारवादी लेखक हैं। इन्होंने वर्तमान समय की समाजिक व्यवस्था तथा

की घटनाओं को मनोइच्छित रूप देते थे। कहानी की रचना के लिए वे काल्पनिक, दैवीय, और चमत्कारी

ज्ञानरंजन, धर्मेन्द्र गुप्त, इब्राहिम शरीफ, विश्वेश्वर, भीमसेन त्यागी, अमर कान्त, रतीलाल शाहनी, कुष्ण बलदेव वैद, विपिन अग्रवाल

भुवाली की इस छोटी-सी कॉटेज में लेटा-लेटा मैं सामने के पहाड़ देखता हूँ। पानी-भरे, सूखे-सूखे बादलों के घेरे देखता हूँ। बिना आँखों के झटक-झटक जाती धुंध के निष्फल प्रयास देखता हूँ और फिर लेटे-लेटे अपने तन का पतझार देखता हूँ। सामने पहाड़ के रूखे हरियाले में कृष्णा सोबती

कहानियों के अतिरिक्त किशोरी लाल गोस्वामी की इन्दुमती, आचार्य रामचन्द्र

केन्द्रीय महत्व का स्वीकारा। मुशी प्रेमचन्द ने अपने जीवन काल में तीन सौ

खरगोश, तीतर और खरगोश : पंचतंत्र की कहानी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश

क्रोध और वेदना के कारण उसकी वाणी में गहरी तलख़ी आ गई थी और वह बात-बात में चिनचिना उठता था। यदि उस समय गोपी न आ जाता, तो संभव था कि वह किसी बच्चे को पीट कर अपने दिल का ग़ुबार निकालता। गोपी ने आ कर दूर से ही पुकारा—'साहब सलाम भाई रहमान। कहो क्या बना रहे विष्णु प्रभाकर

खजूर के वृक्षों की छोटी-सी छाया उस कड़ाके की धूप में मानो सिकुड़ कर अपने-आपमें, या पेड़ के पैरों तले, छिपी जा रही है। अपनी उत्तप्त साँस से छटपटाते हुए वातावरण से दो-चार केना के फूलों की आभा एक तरलता, एक चिकनेपन का भ्रम उत्पन्न कर रही है, यद्यपि है सब अज्ञेय

काव्यात्मक है। यही नहीं इनकी कहानियों में नाट्य शैली के भी दर्शन होते हैं, इनकी कहानियों

व्यापारी का उदय और पतन : पंचतंत्र की कहानी 

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